नयी दिल्ली। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि केंद्र की 'न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन' दृष्टि के तहत अधिकारियों के लिए प्रदर्शन मानक तय किए जा रहे हैं और वित्तीय प्रबंधन में ज्यादा दूरदर्शिता लाने के लिए प्रणालियां विकसित की जा रही हैं। यहां डीआरडीओ भवन में रक्षा मंत्रालय के वित्त प्रभाग द्वारा एकीकृत वित्तीय सलाहकारों के लिए आयोजित कार्यशाला में अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने यह कहा। सिंह ने कहा, “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन (दृष्टिकोण) के तहत, सरकार के कार्यों को ज्यादा प्रभावी एवं दक्ष बनाया जा रहा है। सरकारी अधिकारियों के लिए प्रदर्शन मानक तय किए जा रहे हैं। रक्षा मंत्री ने कहा ''और वित्तीय प्रबंधन में, ज्यादा दूरदर्शिता एवं जवाबदेही की प्रणालियां अपनाई जा रही हैं।”
मंत्री ने कहा कि वित्त किसी परिवार, समाज, संस्थान या देश की रीढ़ होता है। रक्षा मंत्री ने कहा, “देश के कुल बजट का एक चौथाई हिस्सा रक्षा क्षेत्र को जाता है। और जैसा कि मैंने कहा, एकीकृत वित्त (आईएफ) किसी विभाग या मंत्रालय की नींव माना जाता है। और, कोई भी मंत्रालय अपने उद्देश्यों को तभी प्राप्त कर सकता है जब वह संचालन संबंधी जरूरतों से समझौता किए बिना बजट में मिले संसाधनों का प्रबंधन सही ढंग से करे।” सिंह ने कहा कि इस दिशा में सरकार ने भी बहुत से नये तरीके अपनाए हैं जैसे सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) और केंद्रीय सार्वजनिक खरीद पोर्टल पर ध्यान केंद्रित करना। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि पिछले तीन वर्षों में रक्षा मंत्रालय ने अपने आवंटन का, “बहुत सफलतापूर्वक प्रयोग किया है और वित्तीय शक्तियों को अच्छी खासी मात्रा में सौंपने के जरिए, निधियों के प्रयोग न होने के चलन को रोका है।”
पिछले तीन वर्षों में, पूंजी एवं राजस्व खरीद दोनों में वित्तीय शक्तियों को सौंपा गया जिससे सशस्त्र बल अपने खुद के स्तर पर 500 करोड़ रुपये तक की खरीद कर सकते हैं। परिचालन संबंधी तत्काल जरूरतों को देखते हुए, आपात शक्तियां दी गईं जिससे कार्यकुशलता बढ़ी है। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि आईएफ सलाहकार कार्यशाला जैसे कार्यक्रम सभी पक्षकारों के बीच परस्पर समन्वय को बढ़ाएंगे। रक्षा सचिव अजय कुमार, सचिव (रक्षा वित्त) गार्गी कौल और सीजीडीए (रक्षा लेखा महानियंत्रक) संजीव मित्तल भी इस अवसर पर मौजूद रहे।