जयपुर 25 जनवरी (वार्ता)। राजस्थान नागरिक मंच ने नीति आयोग की सलाह पर जिला अस्पतालों और मेडीकल कॉलेजों को पी.पी.पी. मॉडल पर निजीकरण करने का विरोध करते हुये मांग की है कि पूरी स्वास्थ्य सेवाएं राज्य सरकार की देख रेख में हों और इस हेतु समुचित बजट भी दिया जावे।
मंच के अध्यक्ष रामचन्द्र शर्मा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखे पत्र में कहा कि केन्द्र सरकार के नीति आयोग ने जिला अस्पतालों और मेडीकल कॉलेजों को पी पी पी मॉडल पर निजीकरण के हवाले करने का मानस बनाया है, यह कतई जनहित में नहीं है। इससे जिला अस्पताल पर आश्रित करोड़ों जरूरतमंद लोग राजस्थान के संदर्भ में देखें तो करीब 1.84 करोड़ परिवार स्वास्थ्य सेवा से वंचित रह जायेंगे।
उन्होंने बताया कि इससे राज्य सरकार द्वारा शुरू की गयी निरोगी राजस्थान’ का महत्वाकांक्षी मिशन भी पूरा नहीं हो पायेगा। जिला अस्पताल पर सम्पूर्ण जिले की आबादी की जिम्मेदारी होती है। अभी राजस्थान में आपकी पहल पर सरकारी अस्पतालों एवं मेडीकल कॉलेजों में निःशुल्क जांच, इलाज और दवाई की सुविधा सुलभ है, जो पी.पी.पी. मॉडल में ‘निःशुल्क’ और ‘अन्य’ मरीजों में वर्गीकृत हो जावेगी। इस व्यवस्था में बाकी अन्य मरीजों को मुनाफा केन्द्रीत और बाजार आधारित स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर लूटा जायेगा।
पत्र में कहा गया कि पिछली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने प्रदेश के 300 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को पी.पी.पी. मॉडल पर देने का मानस बनाया था। नागरिक मंच के नेतृत्व में पांच मार्च 2016 को नागरिकों ने बड़ी विरोध कार्रवाई की और उसके बाद बजट सत्र के दौरान विधानसभा के समक्ष बड़ा विरोध प्रदर्शन किया गया था। सरकार से वार्ता हुई और पी.पी.पी. मॉडल की योजना निरस्त की गई थी।
अस्पतालों को पी.पी.पी. मॉड़ल से जोड़ने का विरोध