नयी दिल्ली, 09 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को राजधानी दिल्ली में रहने वाले एक महावत की वह बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका ठुकरा दी, जिसमें उसने अपनी हथिनी ‘लक्ष्मी’ को वापस किए जाने का अनुरोध किया था।
मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की खंडपीठ ने महावत की याचिका पर कोई भी आदेश जारी करने से इंकार कर दिया।
न्यायमूर्ति बोबडे ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी, “आखिर एक हथिनी के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका कैसे दायर की जा सकती है? क्या हाथी भी भारत का नागरिक है।”
याचिका में कहा गया था कि उसकी हथिनी को वन विभाग ने हरियाणा में हिरासत में रखा हुआ है, उसे रिहा करवाया जाए।
याचिका में महावत ने कहा था कि 10 साल से हथिनी लक्ष्मी उसके साथ थी और उसके प्रति गहरी संवेदना है। गत वर्ष सितंबर में वह लक्ष्मी को एक शिविर में ले जा रहा था, तभी वन विभाग के अधिकारियों ने उसे अपने कब्जे में ले लिया था। अब वो हरियाणा के पुनर्वास केंद्र में है।
महावत ने कहा कि उसने वन विभाग के अधिकारियों से जब ‘लक्ष्मी’ को छुड़ाने की कोशिश की तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। महावत ने बताया कि गत 25 नवंबर को वह पुलिस की हिरासत से रिहा हुआ है।
‘लक्ष्मी’ को छुड़ाने संबंधी महावत की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज