नहीं रहे राकांपा नेता देवी प्रसाद त्रिपाठी, शुक्रवार को अंत्येष्टि


नयी दिल्ली, 02 जनवरी (वार्ता) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) महासचिव एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य देवी प्रसाद त्रिपाठी का शुक्रवार सुबह यहां निधन हो गया।


 


वह 67 वर्ष के थे और गले के कैंसर से पीड़ित थे।


 


श्री त्रिपाठी का अंतिम संस्कार शुक्रवार को अपराह्न ढाई बजे लोधी रोड शवदाह गृह में किया जाएगा। उनके परिवार में पत्नी और तीन बेटे हैं। श्री त्रिपाठी ने आज सुबह करीब सवा नौ बजे यहां अपने निवास पर अंतिम सांस ली। श्री त्रिपाठी का चार-पांच वर्षों से गले के कैंसर का इलाज चल रहा था।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने पार्टी महासचिव देवी प्रसाद त्रिपाठी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि उनके जाने से पार्टी ने एक सशक्त आवाज काे खो दिया है। श्री पवार ने कहा, “अपनी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के महासचिव डी पी त्रिपाठी जी के निधन की खबर सुनकर बहुत दुख हुआ। राजनीति में वह विद्वता, बौद्धिकता तथा परिश्रम का एक आदर्श मिश्रण थे। प्रवक्ता तथा महासचिव के रूप में एक सशक्त आवाज बनकर वह मेरी पार्टी के पैरोकार रहे।”

राकांपा की लोकसभा सदस्य सुप्रिया सुले ने भी श्री त्रिपाठी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया और कहा, “श्री डी पी त्रिपाठी के निधन की खबर सुनकर वह बहुत आहत हूं। वह पार्टी के महासचिव तथा हम सबके सलाहकार थे। राकांपा की स्थापना से ही पार्टी को दिशा देते रहे हैं। हम उनके योगदान को हमेशा याद करेंगे। मैं उनकी आत्मा की शांति की कामना करती हूं और उनके परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं।”

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी और प्रगतिशील लेखक संघ पूर्व महासचिव अली जावेद और सुप्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी एवं लेखक अशोक वाजपेयी, आपातकाल के दौरान उनके साथ जेल में रहे प्रसिद्ध लेखक गिरधर राठी सहित अन्य लोगों ने श्री त्रिपाठी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।

श्री येचुरी ने श्री त्रिपाठी को कॉमरेड, सहपाठी और सहयात्री बताते हुए कहा,“डी पी त्रिपाठी: कॉमरेड, सहपाठी, सहयात्री तथा और भी बहुत कुछ। विश्वविद्यालय से अब तक हमनें बातें की, बहस की, असहमतियां जाहिर कीं और एक साथ बहुत कुछ सीखा। आप बहुत याद आएंगे मेरे दोस्त। हार्दिक संवेदनाएं।”

श्री वाजपेयी ने कहा कि श्री त्रिपाठी का निधन हमारे जैसे लोगों के लिए एक निजी क्षति है। वह राजनीति में एक विचारवान और दृष्टिवान व्यक्ति थे। उन्हें साहित्य और कला में जीवंत दिलचस्पी थी और वह बुद्धिजीवियों तथा समाज के लिए सक्रिय लोगों के बीच संवाद कायम रखना चाहिते थे।

श्री अली जावेद ने कहा कि मेरा संबंध उनके साथ 1975 से था। आज के दौर में उनके जैसे राजनीतिज्ञों की बेहद जरूरत थी, जो धर्म निरपेक्ष मूल्यों में आस्था रखने के साथ-साथ साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मोर्चे पर भी सक्रिय था।

श्री त्रिपाठी और श्री येचुरी आपातकाल के दौरान माकपा के पूर्व महासचिव प्रकाश करात के साथ जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में एक साथ पढ़ते थे। श्री त्रिपाठी जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गये थे और बाद में उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र का अध्यापन भी किया।

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में 29 नवंबर 1952 को जन्मे श्री त्रिपाठी वाम छात्र राजनीति से चमके थे और अपनी विद्वतापूर्ण भाषण कला के लिए जाने जाते थे। साहित्य और संस्कृति में उनकी गहरी दिलचस्पी थी। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष भी थे। आपातकाल में वह जेल भी गए थे। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हुए और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सलाहकार हो गए। बाद में वह श्री शरद पवार के नेतृत्व में राकांपा में शामिल हो गये थे। वह राज्यसभा के सदस्य चुने गये और एक पत्रिका थिंक टैंक के संपादक भी रहे।