सहारनपुर, 23 जनवरी (वार्ता)। पिछले दो-तीन सालों के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने पापुलर लकड़ी के उचित दाम ना मिलने के कारण फिर गन्ने की खेती की ओर रूख किया है जिसके चलते सहारनपुर मंडल में गन्ने के रकबे में उल्लेखनीय बढोत्तरी दर्ज की गयी है।
सहारनपुर मंडल के गन्ना आयुक्त डा. दिनेश्वर मिश्र ने यूनीवार्ता को बताया कि मंडल में पिछले साल के तीन लाख सात हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल के मुकाबले इस बार तीन लाख 16 हजार हेक्टेयर भूमि में गन्ना की बुआई हुई है जबकि उससे पहले के वर्ष में दो लाख 97 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ने की बुआई की गई थी। यह दर्शाता है कि दो सालों में ही 19 हजार हेक्टेयर की वृद्धि गन्ना बुआई के मामले में हुई है।
इससे पता चलता है कि राज्य सरकार ने भले ही गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी नहीं की है फिर भी गन्ना उत्पादक किसानों को दो कारणों से लाभ हो रहा है। पहला कारण है कि सीओ-238 प्रजाति की गन्ने की उपज से 13 प्रतिशत तक चीनी की प्राप्ति होती है और किसान प्रति हेक्टेयर एक हजार क्विंटल से 15 सौ क्विंटल तक उपज ले रहे हैं। यह अपने आप में अभूतपूर्व है। पांच साल पहले तक जिस प्रजाति का गन्ना किसान बोता था,उसमें प्रति बीघा 35 से 40 क्विंटल ही उपज मिलती थी जबकि नयी प्रजाति में यह बढकर 100 क्विंटल हो गयी है।
डा मिश्र ने बताया कि ढाई गुना तक पैदावार बढ़ाने वाली इस प्रजाति की यह भी खूबी है कि गन्ने की दो लाइनों के बीच में एक अलग से फसल मिल रही है। इस तरह से गन्ने की खेती पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने को लेकर बढ़ी है किसानो की दिलचस्पी