..पुण्यतिथि 31 जनवरी के अवसर पर ..
मुंबई 31 जनवरी (वार्ता) बॉलीवुड में सुरैया को ऐसी गायिका-अभिनेत्री के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने अपने सशक्त अभिनय और जादुई पार्श्वगायन से लगभग चार दशक तक सिने प्रेमियों को अपना दीवाना बनाये रखा ।
पंजाब के गुजरांवाला शहर में 15 जून 1929 को एक मध्यम वर्गीय परिवार मे जन्मी सुरैया का रूझान बचपन से ही संगीत की ओर था और वह पार्श्वगायिका बनना चाहती थी। उन्होंने हालांकि किसी उस्ताद से संगीत की शिक्षा नहीं ली थी लेकिन संगीत पर उनकी अच्छी पकड़ थी। सुरैया अपने माता पिता की इकलौती संतान थी। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के न्यू गर्ल्स हाई स्कूल से पूरी की। इसके साथ ही वह घर पर ही कुरान और फारसी की शिक्षा भी लिया करती थी। बतौर बाल कलाकार वर्ष 1937 में उनकी पहली फिल्म ..उसने सोचा था..प्रदर्शित हुई।
सुरैया को अपना सबसे पहला बड़ा काम अपने चाचा जहूर की मदद से मिला जो उन दिनों फिल्म इंडस्ट्री मे बतौर खलनायक अपनी पहचान बना चुके थे । वर्ष 1941 में स्कूल की छुट्टियों के दौरान एक बार सुरैया मोहन स्टूडियो में फिल्म ..ताजमहल.. की शूटिंग देखने गयी। वहां उनकी मुलाकात फिल्म के निर्देशक नानु भाई वकील से हुयी जिन्हें सुरैया में फिल्म इंडस्ट्री का एक उभरता हुआ सितारा दिखाई दिया। उन्होंने सुरैया को फिल्म के किरदार ..मुमताज महल के लिये चुन लिया।
आकाशवाणी के एक कार्यक्रम के दौरान संगीत सम्राट नौशाद ने जब सुरैया को गाते सुना तब वह उनके गाने के अंदाज से काफी प्रभावित हुए। नौशाद के संगीत निर्देशन मे पहली बार कारदार साहब की फिल्म ..शारदा .. में सुरैया को गाने का मौका मिला। इस बीच सुरैया को वर्ष 1946 में महबूब खान की ..अनमोल घड़ी ..में भी काम करने का मौका मिला हालांकि सुरैया इस फिल्म में सह अभिनेत्री थी लेकिन फिल्म के एक गाने .. सोचा था क्या, क्या हो गया .. से वह बतौर पार्श्वगायिका श्रोताओं के बीच अपनी पहचान बनाने में काफी हद तक सफल रही।
सुरीली आवाज से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया सुरैया ने