नयी दिल्ली, 05 फरवरी (वार्ता)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्भया के चारों दोषियों के डेथ वारंट के अमल को स्थगित करने के लिए निचली अदालत के फैसले को खारिज करने से बुधवार को इन्कार करते हुए सात दिन के भीतर सभी कानूनी विकल्पों को पूरा करने का आदेश दिया।
न्यायाधीश सुरेश कैत ने आज इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि चारों दोषियों को अलग-अलग फांसी देने के लिए डेथ वारंट जारी नहीं किए जा सकते। न्यायालय ने कहा कि सभी दोषियों को एक साथ ही फांसी होगी। न्यायाधीश कैत ने चारों दोषियों को निर्देश दिया है कि यदि वे चाहते हैं तो आज से एक सप्ताह के भीतर अपनी सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर लें।
न्यायालय ने कहा कि दोषी मुकेश को केवल इसलिए अलग नहीं किया जा सकता है कि वह सारे विकल्पों को अपना रहा है। न्यायालय ने अधिकारियों की समय से कार्रवाई नहीं करने पर खिंचाई करते हुए टिप्पणी की उच्चतम न्यायालय ने चारों की फांसी की सजा को मई 2017 में बरकरार रखा था। इसके बावजूद अधिकारी सो रहे थे।
न्यायाधीश कैत ने कहा कि एक सप्ताह बाद डेथ वारंट लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी। न्यायाधीश कैत ने रविवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के संयुक्त आवेदन पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
गौरतलब है कि चारों की फांसी दो बार टल चुकी है। पहले 22 जनवरी को फांसी के लिए डेथ वारंट जारी किया गया था। इसके बाद एक फरवरी को फांसी के लिए डेथ वारंट जारी हुआ था लेकिन दोषियों के कानूनी प्रक्रिया को अपनाने की प्रक्रिया पूरी नहीं होने की दलील पर फांसी दो बार टल गई।
निर्भया मामले में विनय कुमार शर्मा, मुकेश कुमार सिंह, पवन गुप्ता और अक्षय कुमार को फांसी की सजा सुनाई गई है। इस मामले में कुल छह आरोपी थे जिसमें से एक ने सुनवाई के दौरान ही तिहाड़ जेल में फांसी लगा ली थी जबकि एक अन्य नाबालिग था जो सजा पूरी करने के बाद रिहा कर दिया गया था।